जीवनदायिनी “मां”
सर्द रातों में मुझे,अपने आंचल में छुपा लेती है मॉं,
गर्मी की तपती दोपहरी में,
असीम ठंडक का एहसास कराती है मॉं,
खुद गीले बिस्तर पर सो कर,
बच्चोंको फूल जैसी सेज देती है मॉं,
स्वयं भूखी रहकर,बच्चों की भूख मिटाने को अन्नपूर्णा बन जाती है मॉं,
मन में असहनीय दर्द लिए,सदा होठों पर मुस्कान रखती है मां,
दूसरों के अश्रु देख,स्वयं द्रवित हो जाती है मॉं,
ममता के मंदिर की लुभावनी मूरत है मां,
आखिर तुमको इतनी शक्ति किसने दी है मॉं??
मन चाहता है,अपनी पंक्तियों से,तुम्हें पराकाष्ठा पर पहुंचा दूं मॉं,
पर चाहकर भी मुझमें,इतना सामर्थ्य नहीं है मॉं।।
(Happy Mother’s Day to all loving & caring womens )🌹🌹💐💐
वाह
आपका धन्यवाद
Great
बहुत सुन्दर रचना है आपकी
उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
Bahut sundar rachana