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जोकर

पहने सर पर नीली टोपी
उछलता -कूदता आता है
कभी इधर तो कभी उधर
नाचता और नचाता है।

भर अपने थैले में टॉफी
बिस्कुट सबको लाता है
हाथ मिलाकर बच्चों से एक
जादू की झप्पी लेता है।

रोते बच्चे को झट से अपनी
बातों में वो लेता है
मुँह फुला कर तोंद दिखाकर
खुशियाँ उसको देता है।

बच्चों के संग मिलजुल कर वो
खेलता और खिलाता है
चंद पैसो के खातिर वो ये
सब कुछ हँस कर करता है

हज़ारों गमों के समुन्दर को वो
ज़ाहिर कभी न करता है
कहलाता अपने आप को जोकर
खुशियाँ हर- क्षण बिखेरता है।।

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