तलवार।

वह कैसी तलवार कि जिसमें धार नहीं है
कौन कहेगा सिन्धु जहाँ मझधार नहीं है,
सिर्फ ताप के लिए जले वह ज्वाला कैसी
आँखों से न बरसे तो अंगार नहीं है ।
अनिल मिश्र प्रहरी।

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