Categories: मुक्तक
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
प्रार्थना।
त्रिविध ताप कर शमित हमारे भोले शंकर। राह कठिन, मंजिल भी धूमिल, पैरों में छाले, उजड़ा दिल। आज हमें दर्शन दे देखूँ तुझको जी भर।…
गुनहगार हो गया
सच बोलकर जहाँ में गुनहगार हो गया, लोगों से दूर आज मैं लाचार हो गया। जो चापलूस थे सिपेसालार बन गए, मोहताज़ इक अनाज़ से…
आज मुझे आलिंगन देकर मुक्त करो हर भार से
आज मुझे आलिंगन देकर मुक्त करो हर भार से… प्रियतम मेरा हाथ पकड़ कर ले चल इस मझधार से… नयन मौन हैं किन्तु प्रणय की…
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