तलवार।

वह कैसी तलवार कि जिसमें धार नहीं है कौन कहेगा सिन्धु जहाँ मझधार नहीं है, सिर्फ ताप के लिए जले वह ज्वाला कैसी आँखों से…

माखनचोर ।

तू है माखनचोर। कान्हा तुम आ जाते छुपके खा जाते हो माखन चुपके, तड़के आँगन सखियाँ करतीं शोर तू है माखनचोर। दही मगन खा मटकी…

करोना का कहर।

रोग कोरोना से हुई मानवता बेचैन जीवन लगता रुष्ट है, बैरी दिखता चैन, बैरी दिखता चैन, मौत का नग्न – नृत्य है मौन-विधाता बता,किया क्यों…

मन।

मन। क्यों घुट – घुट के जीता है रे मन? तुझे काया मिली इतनी माया मिली, तेरी राहों में बिखरा है मधुवन। क्यों घुट –…

दर्द।

दर्द। टूटकर सपने नहीं कम हो सके पास रहकर भी न उनमें खो सके, अश्क से दामन मेरा है तरबतर फूटकर हम आजतक न रो…

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