Site icon Saavan

तवायफ़

अश्कों का समन्दर है अँखियों में मेरी
एक कागज की किश्ती कहाँ से चलेगी।
है ये बदनाम बस्ती हमारी सनम
इश्क की फिर कलियाँ कहाँ से खिलेगी।।
रोकड़े में खरीदे सभी प्यार आकर
प्यार की ज़िन्दगी पर कहाँ से मिलेगी।
मजबुरियों ने मुझको तवायफ़ बनाया
‘विनयचंद ‘ बीबी कहाँ से बनेगी।।

Exit mobile version