Categories: ग़ज़ल
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
सुनी सुनी सी बात लगे इस बस्ती में
सुनी सुनी सी बात लगे इस बस्ती में, कुछ तो है जो ख़ास लगे इस बस्ती में, कभी सोंच आज़ाद लगे इस बस्ती में, कभी…
हम उस देश के वासी है ।।
हम भारत के वासी है, संस्कृति हमारी पहचान है । सारी जहां में फैली हुई, हमारी मान-सम्मान है । सादगी है हमारी सबसे निराली, अजब…
ग़ैरों की बस्ती में , अपना भी एक घर होता
ग़ैरों की बस्ती में , अपना भी एक घर होता.. अपने आप चल पड़ते कदम य़ु तन्हा ना य़े सफर होता…. वक्त बिताने को आवाज देती दीवारे साथ छुटने का ना कोई…
अब मै हार गया हूँ।
जिन्दगी की किश्ती सभाँलते– सभाँलते , अब मै हार गया हूँ। क्या करू जिस दरिया मे चलती थी ,अपनी किश्ती वो दरिया मे ही गजब…
सुन्दर लेखन, उत्तम अभिव्यक्ति
धन्यवाद जी
बहुत ही संवेदनशील एवं यथार्थ रचना
बहुत बहुत धन्यवाद प्रज्ञा जी