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“तिरस्कृत महिला”

तिरस्कृत महिला
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तिरस्कार मनुष्य को
जीवित ही मार देता है
ये वह जहर है जो
धीरे- धीरे असर करता है
शेक्सपियर भी कह गये हैं मित्रों !
“बदला लेने और प्रेम करने में नारी
पुरुष से ज्यादा निर्दयी है”
इसीलिए तो जब
एक महिला तिरस्कृत होती है
तो वह जहरीले नाग से भी
खूंखार होती है
ना देखती है वह फिर रिश्तों का मोह
घायल नारी, द्रौपदी सम होती है
सीता हो या द्रौपदी
इतिहास गवाह है
जब-जब पुरुष ने नारी का तिरस्कार किया है
उसका अस्तित्व मिटा है
तो सम्मान दो और
सम्मानित होने का गौरव पाओ
नारी को तुच्छ नहीं
अपने जीवन का भाग बनाओ…

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