तुम्हारे हुस्न के मुट्ठीगंज में फंसकर सुरेन्द्र जायसवाल 4 years ago तुम्हारे हुस्न के मुट्ठीगंज में फंसकर इश्क़ अरैल घाट में डूब जाता है। दिल धड़कता था सिविल लाइन सा, अब यादों का कंपनी बाग बन जाता है।। ~सुरेंद्र जायसवाल (प्रतापगढ़)