‘समझ में ये नही आता कि आरज़ू क्या है,
है दिल भी पास अगर फिर ये जुस्तजू क्या है..?
मैंने देखा है आज खून-ए-जिगर भी अपना,
मैं सबसे पूछता फिरता था के लहू क्या है..?
तू इतना वक्त पर पहुँचा कि बात खत्म हुई,
अब मुझसे पूछ रहा है के गुफ्तगू क्या है..?
मेरे वजूद पर सवाल उठाने वाले,
चल आज ये भी बता दे मुझे के तू क्या है..’
– प्रयाग
मायने :
जुस्तजू – तलाश
जिगर – कलेजा
गुफ्तगू – बातचीत