तू क्या है..
‘समझ में ये नही आता कि आरज़ू क्या है,
है दिल भी पास अगर फिर ये जुस्तजू क्या है..?
मैंने देखा है आज खून-ए-जिगर भी अपना,
मैं सबसे पूछता फिरता था के लहू क्या है..?
तू इतना वक्त पर पहुँचा कि बात खत्म हुई,
अब मुझसे पूछ रहा है के गुफ्तगू क्या है..?
मेरे वजूद पर सवाल उठाने वाले,
चल आज ये भी बता दे मुझे के तू क्या है..’
– प्रयाग
मायने :
जुस्तजू – तलाश
जिगर – कलेजा
गुफ्तगू – बातचीत
वाह जी वाह, लेखनी के इस प्रवाह की जितनी तारीफ की जाये कम है।
इस हौसला अफजाई के लिए आपका शुक्रिया
वाह! बहुत ख़ूब ,कलम का कमाल है ये
बहुत शुक्रिया आपका
बेहतरीन
जी शुक्रिया
Good
धन्यवाद आपका
Nice
बहुत शुक्रिया आपका
Sunder
धन्यवाद आपका
बहुत सुंदर
आभार आपका