तेरी इक मुसकराहट पर बहारें

“**प्रात:अभिवादन”**
****^^^^***
तेरी इक मुसकराहट पर बहारें
लौट आती हैं ।
तेरी इक मुसकराहट पर बहारें ,
गुल खिलाती हैं ।
महक जाता है तन मन और
हर उजड़ा हुआ उपवन ,
प्यार की वसंती रितु , जिंदगानी
गुनगुनाती है ।

जानकी प्रसाद विवश

प्यारे मित्रो,
प्यार बरसाते सुखद सवेरे
की
प्यार भरी
मंगलकामनाएँ
सपरिवारसहर्ष स्वीकार करें ।

जानकी प्रसाद विवश

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