Categories: शेर-ओ-शायरी
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घर और खँडहर
घर और खँडहर ईटों और रिश्तों मैँ गुंध कर मकान पथरों का हो जाता घर ज्यों बालू , सीमेंट और पानी…
हिन्दी कविता- जीवन ज्योत जलेगी |
हिन्दी कविता- जीवन ज्योत जलेगी | आज जीवन ज्योत जलेगी मानव प्राण भरेगी | छाई दुविधा कोरोना भारत तिल तिल मरेगी | वतन की एकता…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
चल पड़ा फिर जिस्म
चल पड़ा फिर जिस्म किसी राह में मन को छोड़ अकेला क्यों नहीं चलते दोनों साथ -साथ कोई रंजिश नहीं फिर भी रंजिश फूल की…
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