जाने क्यूं आजकल
खुद पर प्यार आने लगा है
अपना ही चेहरा
अब हमको रिझाने लगा है
पहले डूबे रहते थे हम
किसी की आँखों की मदहोशी में
अब तो अपना चेहरा ही
हमको भाने लगा है
आँखों से टपकते हैं जब मेरे आँसू
दर्द दिल को अब जियादा
सताने लगा है
है ये साजिश या कोई करिश्मा !
रूबरू मेरे,
मेरा ख्वाब आने लगा है
दर्द की फलियों में
बंद थे दंश जो
अब उन्हीं में हमको बेहद मजा आने लगा है…