दर्द भरी इक गुज़ारिश Shakti Kumar Tripathi 4 years ago मेरे घर में रहे तो फिर किराया दे गए होते भंवर में था , मुझे कोई किनारा दे गए होते नहीं कुछ और ख्वाहिश है सनम तुमसे मुझे लेकिन चले जाना हि था तो दिल हमारा दे गए होते। शक्ति त्रिपाठी देव