गरीब गरीब रह गया, सेठ सौ गुना सेठ।
खाई सा अंतर हुआ, भूख बराबर पेट।।1
गरीबों के उत्थान की, बनी योजना लाख।
कागज में पूरी हुई, उस तक पंहुची खाक।।2
—– सतीश पाण्डेय
गरीब गरीब रह गया, सेठ सौ गुना सेठ।
खाई सा अंतर हुआ, भूख बराबर पेट।।1
गरीबों के उत्थान की, बनी योजना लाख।
कागज में पूरी हुई, उस तक पंहुची खाक।।2
—– सतीश पाण्डेय