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दो तरह के लोग..

” गीता” इस संसार में, दो तरह के लोग,
परवाह नहीं इस भयंकर रोग की, भागे फिरते रोज़ ।
दूजे वाले डरकर रहते, घर से बाहर कम निकलते,
मगर मज़े की बात देखो, …….
दोनों ही एक – दूजे को बेवकूफ़ हैं समझते
……….✍️ गीता..

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