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नयन नीर सींचे न सींचे..

वह सोचता है,
यदि रूठ जाऊं
तो वो मुझे मनाये
वो सोचती है रूठने पर
वो मुझे मनाये,
एक सोचता है
दूसरा मुझे मनाये
रूठने पर
न वो मनाती है
न वो मनाता है,
रूठना भी रूठ जाता है,
समय छूट जाता है
बहुत पीछे………
नयन नीर सींचे न सींचे..
प्यार सूखा रह जाता है….

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