नववर्ष हो इतना सबल
ना पीर चारों ओर हो,
जिधर भी उठे नजर
सर्वत्र पुष्प ही पुष्प हो..
यह लेखनी अविराम हो,
हर पंक्ति में ऐसे भाव हों…
जाग जाए यह जमीं और
आसमां झुक जाए,
लेखनी हो तरुण-सी
ऐसा नववर्ष आए…
कोरोना की ना मार हो,
फूला-फला संसार हो…
दुर्गम हो, चाहे दुर्लभ हो,
हर पथ मानव को सलभ हो…
युवा हो कर्मठ और हाथ में
उनके पतवार हो,
ना डूबे कभी बहती रहे ऐसी
सुंदर नाव हो…
२०२० तो जलमग्न हो गया,
२०२१ सजकर आ गया…
सबके मनोरथ पूर्ण हो
सबका सुखी संसार हो…