Categories: शेर-ओ-शायरी
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अपनी अदा देखाकर हुश्न के बाजार में मेरा भाव लगाया तुमने।
अपनी अदा देखाकर हुश्न के बाजार में मेरा भाव लगाया तुमने। मिल गया कोई रईसजादा तो इस मुफलिस गरीब को ठुकराया तुमने।। मेरी मुफलिसी का…
यादें
बेवजह, बेसबब सी खुशी जाने क्यों थीं? चुपके से यादें मेरे दिल में समायीं थीं, अकेले नहीं, काफ़िला संग लाईं थीं, मेरे साथ दोस्ती निभाने…
कविता : मोहब्बत
नदी की बहती धारा है मोहब्बत सुदूर आकाश का ,एक सितारा है मोहब्बत सागर की गहराई सी है मोहब्बत निर्जन वनों की तन्हाई सी है…
सम्भाल कर
रक्खे तो हैं कुछ टुकड़े सम्भाल कर, प्यारे से दिल के चन्द हिस्से सम्भाल कर, बनाते थे लोग पल पल बात कई, आज बस छिपा…
नवसंवत्सर को नज़राना
फाल्गुन की ब्यार में, कोयल की थी कूक गिरते हुए पत्तों की सरसराहट उर में उठाती थी हूक॥ जीवंत हो उठी झंझाएँ मानो कुछ कहती…
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