सिक्किम के सौन्दर्य का,
मैं कैसे करूं बखान
वहां से लेकर हम यादें,
आए अद्भुत, आलीशान
स्वर्णिम सूर्य उदित होते हैं,
पर्वतों के पार
बनते बादलों की छटा है,
सुन्दर अपरम्पार
झरने झर-झर बहें यहां पर,
शीतल पवन का शोर
सुन्दर हरियाली बिछी हुई है,
यहां पे चारों ओर
कंचन जंगा की बर्फीली चोटी,
के दर्शन यहां हो जाते हैं
बादल खेलें आंख-मिचौली,
बरस कभी भी जाते हैं
पर्वतों से कुछ प्यार सा है,
पर्वत सदा ही भाते हैं
जब करता है दिल कभी,
पर्वतों से मिलने चले जाते हैं ..
*****✍️गीता