बड़ी ठण्ड है माँ !
बर्फ पड़ रही है
तू क्यों आग-सी तप रही है ?
बाहर इतनी धुंध छाई है
माँ मेरी जान पर बन आई है
लगाकर छाती से माँ बोली
आ बेटा ! गर्म कर दूं बदन तेरा
कल सुबह उठना
ढूंढ लूंगी स्वेटर तेरा
रात बीती माँ की हड्डियों से
चिपककर बेेटे की
सुबह मिलेगा स्वेटर
यह स्वर्णिम स्वप्न था आँखों में बेटे की
सुबह हुई तो नजारा ही कुछ और था
बेटा माँ से लिपटकर रो रहा था
और कह रहा था
उठ जा माँ ! तेरा बदन बिल्कुल बर्फ है
आग दाऊ घर जल रही
उठ भूमि से मौसम सर्द है…
पर वह ना उठी, बड़ी निष्ठुर थी !!