Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
ख्याब टूटी, दुनिया लूटी, बिखड़े सभी सहारे ।
ख्याब टूटी, दुनिया लूटी, बिखड़े सभी सहारे । अपनों ने गैर कहा, और गैरों ने अपने । । यहीं है, जहां की दस्तुर पुरानी, बची…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
मेरे जैसी मैं
मैं कहाँ मेरे जैसी रह गयी हूँ वख्त ने बदल दिया बहुत कुछ मैं कोमलांगना से काठ जैसी हो गई हूँ मैं कहाँ मेरे जैसी…
मौसम और जीवन पर आधारित कवि सतीश जी की यथार्थ प्रस्तुति