कई माह बीत गये
बारिश नहीं हुई।
सूखी धरा के अधर
ताकते हैं नभ को।
प्राणी हैं व्याकुल
जल की कमी से,
सब तरफ है सूखा
प्यास आज सबको।
पौधे झुलस कर
मुरझा गए हैं,
कब होगी बारिश
देखते हैं नभ को।
पानी बिना जीवन
कुछ भी नहीं है,
पानी से ज्यादा
कुछ भी नहीं है,
अतः आज ऐसा
नारा लगाओ
पानी बचाओ
पानी बचाओ।