पानी बचाओ
कई माह बीत गये
बारिश नहीं हुई।
सूखी धरा के अधर
ताकते हैं नभ को।
प्राणी हैं व्याकुल
जल की कमी से,
सब तरफ है सूखा
प्यास आज सबको।
पौधे झुलस कर
मुरझा गए हैं,
कब होगी बारिश
देखते हैं नभ को।
पानी बिना जीवन
कुछ भी नहीं है,
पानी से ज्यादा
कुछ भी नहीं है,
अतः आज ऐसा
नारा लगाओ
पानी बचाओ
पानी बचाओ।
वाह सर वाह, क्या बात है
वाह वाह, बहुत खूब
जल ही जीवन है इसी सार को लेकर लिखी गई कवि सतीश जी की बेहद खूबसूरत पंक्तियां शानदार प्रस्तुति उम्दा लेखन
पानी बिना जीवन
कुछ भी नहीं है,
पानी से ज्यादा
कुछ भी नहीं है,
__________ जीवन में जल की महत्ता को बताती हुई कवि सतीश जी की बहुत उम्दा रचना, पानी को बचाने के लिए प्रेरित करती हुई शानदार रचना
Very nice poem👏👏
पानी बचाने की बहुत अच्छी कविता