पिता

( पिता )

हे पितृ बन्धु सखा हमारे
जीवन काया के आधार हमारे
सर पर छाया के दाता हमारे
बारम्बार नमन करता हूँ

प्यार अनोखा देकर हमको
लाड़ प्यार दिया जीवन में हमको
सखा हमारे जीवन के हो तुम
पालन करते दास बनकर

त्याग तपस्या करते दिन रात
प्यार लुटाते रहते हो
अच्छी शिक्षा अच्छा कपड़ा
देते रहते हो हमको

प्यार बनाये रहते हो यू ही
कभी ना करते आराम हो
बारिस गर्मी जाड़ा धूप
सब सहकर पालन करते हो

अपने सारे खुशियो को त्याग
मेरे ख़्वाहिश को पुरा करते हो
घिसी हुयी जुते को पहन
दिन रात चलते रहते हो

परिवार के खुशियो के लिए
बाबू जी बहुत कष्ट उठाते हो
बेटा बेटी घर परिवार को
अपने खून पसीने से सिंचते हो

महेश गुप्ता जौनपुरी

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