आपको लगता है क्या
मैं चाँद हूँ या चाँदनी
रात के झुरमुट में बैठी
हूँ मैं कोई अप्सरा
गीत हूँ या हृदय की
टूटी-फूटी रागिनी…
आपको लगता है क्या..
अमरत्व का वरदान हूँ या
करुणत्व की उत्श्रृंखला
हूँ सरोवर प्रेम का या
पीर का उपहार हूँ !!
आपको लगता है क्या
मैं चाँद हूँ या चाँदनी
रात के झुरमुट में बैठी
हूँ मैं कोई अप्सरा
गीत हूँ या हृदय की
टूटी-फूटी रागिनी…
आपको लगता है क्या..
अमरत्व का वरदान हूँ या
करुणत्व की उत्श्रृंखला
हूँ सरोवर प्रेम का या
पीर का उपहार हूँ !!