लगता पूछती हो, बता माँ
कबतक बंदिशो में रहना होगा
कब खुलकर हंसना, बोलना
बेखौफ़ घर से निकलना होगा ।
कब मैं भी बेखौफ़, सुबह की सैर पर जाया करूँगी
दिन ढले भी निश्चिंतता से, मैं अकेले आया करूँगी।
मेरे स्वप्न कब उङान लेगें,
मेरे लिए भी द्वार, ऊँची शिक्षा के खुलेगे
कोटा, पटना, दिल्ली, जैसे शहर भी
कोई भी ना हमसे अछूता रहेंगे ।
बिटिया दिवस की ढेर सारी शुभकामनायें