पृथ्वी

सबका भार सहती है,पृथ्वी
फिर भी कुछ न कहती है पृथ्वी

नित सारी श्रष्टि को,
निस्वार्थ सब देती है पृथ्वी

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

Related Articles

“पृथ्वी दिवस”

पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल) स्पेशल ——————————– इन दो हाथों के बीच में पृथ्वी निश्चित ही मुसकाती है पर यथार्थ में वसुंधरा यह सिसक-सिसक रह जाती…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

+

New Report

Close