Site icon Saavan

प्रभु तुझ बिन

आज किन रंगों से सजा होगा यह दिन
क़ोई पल न गुजरे प्रभु तुझ बिन
आज किन रंगों से सजा होगा यह दिन
क़ोई पल न गुजरे प्रभु तुझ बिन

त्राहि त्राहि कर रही तेरी धरा
खतरे में पङा ये सारा जहाँ
मनुज काल का ग्रास बन जा रहा
तू क्यू छिपा, बता बैठा कहाँ
कितने घर बिखर गए
कितने नन्हें बिलट गये
मानव घर तक सिमट गये
फिरभी संक्रमण से हैं जकड़े हुए

अब और हम जैसों से सहा जाता नहीं
भूखे पेट घर पे, चुपचाप रहा जाता नहीं
बाहर संक्रमण का कहर, बढ़ रहा घटता नहीं
क्या करें कैसे रहें समझ में आता नहीं

भूल जो हम सबसे हुई, उसे अब तो माफ कर
थक गए हैं मनुज, अब इनका तू संताप हर
संक्रमण, बेरोजगारी, कमी, भूख से पीड़ित है नर
इन सभी दु:ख-दर्द से, बसुन्धरा को मुक्त कर!!
!शुभ प्रभात!

Exit mobile version