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प्रेम भावना बढ़े

ऐसी बातें क्यों करें, जो देती हों पीड़,
सबसे अच्छा बोल दें, अपनों की हो भीड़।
अपनों की हो भीड़, सभी अपने हो जायें,
बेगानापन छोड़, सभी अपने हो जायें।
कहे लेखनी छोड़, चलो सब ऐसी वैसी,
प्रेम भावना बढ़े, बात कर लो अब ऐसी।

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