प्रेम

चलो फिर से एक- दूजे से बिछड़कर देखते है,
प्रेम मे वियोग की पराकाष्ठा को हम देखते है।

Related Articles

कुछ नया करते

चलो कुछ नया करते हैं, लहरों के अनुकूल सभी तैरते, चलो हम लहरों के प्रतिकूल तैरते हैं , लहरों में आशियाना बनाते हैं, किसी की…

Ghazal

हिसारे जात से बाहर निकल के देखते हैं चलो खुद का नज़रिया हम बदल के देखते हैं … सफर का शौक है हम को कहीं…

Responses

+

New Report

Close