Categories: शेर-ओ-शायरी
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कुछ नया करते
चलो कुछ नया करते हैं, लहरों के अनुकूल सभी तैरते, चलो हम लहरों के प्रतिकूल तैरते हैं , लहरों में आशियाना बनाते हैं, किसी की…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
सको तो चलो………..
हमारे साथ कदम से कदम मिला चल सको तो चलो के इस इश्क़ में कुछ देर ठहर सको तो चलो बहुत ही हौसला चाहिए, इस…
कविता -मकर संक्रांति चलो मनाए |
कविता -मकर संक्रांति चलो मनाए | मकर संक्रांति आई पतंग चलो उड़ाए | उड़े ऊंचाई जैसे सोच पेंच चलो लड़ाये | डोर पतंग की थाम…
Ghazal
हिसारे जात से बाहर निकल के देखते हैं चलो खुद का नज़रिया हम बदल के देखते हैं … सफर का शौक है हम को कहीं…
वाह