फ़ागुन में एक गीत सुनाऊँ,
आओ तुम्हे मन-मीत सुनाऊँ।
दिल में है जो प्रीत सुनाऊँ
साँझ हो चली दीप जलाऊँ।
चादर ओढ़े लालिमा की,
साँझ सुहानी जाने लगी है।
दीपक की रौशन लौ से,
एक महक सी आने लगी है।
चली है चंचल सी हवाएँ,
कोयल मीठा राग सुनाए।
सुबह साँझ चले पुरवाई,
प्रीतम तेरी याद है आई।
फ़ागुन में एक गीत सुनाऊँ,
आओ तुम्हे मन-मीत सुनाऊँ।
____✍️गीता