बरगद

बरगद
——
बरगद का एक पेड़ पुराना।
जैसे हो कोई बूढ़ा नाना।
लम्बी – लम्बी दाड़ी वाला,
बड़े तने के कुर्ते वाला।
दैर सारी भुजाओं वाला।

बंदर कूदे सब डाल- डाल,
खीचे डाली और पात-पात।
चीखे चिड़िया करे गीत गान,
कूदे गिलहरियां पिद्दी पहलवान।

लगता नाना के नाती हैं,
सब के सब यहां बाराती हैं

अपनी मस्ती में चूर हैं सब,
बालों को खीचे जाते हैं।
नन्हें बच्चों की तरह यहां,
गन्दा घर भी कर जाते हैं

बरगद तो बूढ़ा नाना है,
बच्चों ने ना कहना माना है।

लगता कि झूठा गुस्सा हो,
जोरो से ठठाकर हंसता हो।
सब थक जाते जब उधम मचा,
बाहों में समेटे जाता है,
पत्तों की चादर उड़ाता है।

बरगद तो बूढ़ा नाना है।
निमिषा सिंघल

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