न तुमने देखे न मैंने देखा।
बहते पवन को किसने देखा?
जुल्फ चुनरिया उड़ते जब जब।
बहती हवाएँ समझो तब तब।।
बादलों को जो चलते देखा।
बहते पवन को उसने देखा।।
न तुमने देखे न मैंने देखा।
बहते पवन को किसने देखा?
चहुदिश बजती एक सीटी-सी।
तन को ठण्ड लगे मीठी-सी।।
बृक्ष लता सब हिलते देखा।
बहते पवन को उसने देखा।।
न तुमने देखे न मैंने देखा।
बहते पवन को किसने देखा?
रोसैटी के ये भाव मनोहर।
शब्दों के एक हार पिरोकर।।
‘विनयचंद ‘ नित देखा।
न तुमने देखे न मैंने देखा।
बहते पवन को किसने देखा?