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बेटियाँ

कितनी प्यारी होती हैं
बेटियाँ,
प्रेम की मूरत होती हैं बेटियाँ..
आती है जब परिवार पर
आँच कोई,
सबसे आगे खड़ी होती
हैं बेटियाँ…
प्यार के पालने में झूलती हैं,
माँ के आँचल में पल्लवित
होती हैं बेटियाँ…
बाबुल के घर रोशनी
उन्हीं से होती है,
चिड़ियों-सी चहकती रहती
हैं बेटियाँ..
हो जाती हैं एक दिन ये कलियाँ पराई,
अपनी यादों की महक
छोंड़ जाती हैं बेटियाँ…
कहता है जब कोई इन्हें
पराया,
बहुत बिलख-बिलखकर
रोती हैं बेटियाँ…
मायके में पराई अमानत,
ससुराल में पराये घर की कही जाती हैं…
आखिर किस घर की
होती हैं बेटियाँ..?

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