बेमोल थे जो झूठे बाज़ार में

बेमोल थे जो झूठे बाज़ार में, वो सारे साहूकार बिक गए,
मैं अनमोल ही था सच है,जो मेरा कोई मोल न लगा।।
– राही (अंजाना)

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