‘बे-लौस किस ज़ुबाँ से कहें आज बशर को,
साये में बैठकर भी काट डाला शजर को..’
– प्रयाग
मायने :
बे-लौस – नि:स्वार्थ
बशर – इंसान
शजर – पेड़
‘बे-लौस किस ज़ुबाँ से कहें आज बशर को,
साये में बैठकर भी काट डाला शजर को..’
– प्रयाग
मायने :
बे-लौस – नि:स्वार्थ
बशर – इंसान
शजर – पेड़