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बोलूँ कैसे बात

चुप रहना आता नहीं, बोलूँ कैसे बात,
चावल पककर बन गया, गीला गीला भात,
गीला गीला भात, हर तरफ पानी पानी,
सूखे सूखे होंठ, और मन में नादानी,
कहे लेखनी बात समझ मन तू जा अब छुप,
कर अनदेखी आज बोल मत हो जा तू चुप।

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