बोलूँ कैसे बात

चुप रहना आता नहीं, बोलूँ कैसे बात,
चावल पककर बन गया, गीला गीला भात,
गीला गीला भात, हर तरफ पानी पानी,
सूखे सूखे होंठ, और मन में नादानी,
कहे लेखनी बात समझ मन तू जा अब छुप,
कर अनदेखी आज बोल मत हो जा तू चुप।

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Responses

  1. छंद युक्त शैली में लिखी गई,बहुत सुंदर कविता, उत्तम लेखन।
    ,”चावल पककर बन गया, गीला गीला भात,
    गीला गीला भात, हर तरफ पानी पानी,”
    _____जीवन की परेशानियों को दर्शाती हुई बहुत ही सुन्दर और सहज रचना

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