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मजदूर हू मजबूर नहीं

मजदूर हू मजबूर नहीं
तेरे जैसे वीडियो के सामने मदद लेने से इनकार करता हू
लाखों दूर घर की और सफर करता हूँ बिना किसी मदद के पैदल

किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया कभी
कारखाने बंद बाजार बंद
भूख है की कोई लॉकडाउन नहीं मानती
पोलिस के डंडे खाकर भी हम कोई काम की आशा में निकलते है

भीख नहीं मांगते भीख नहीं मांगते
तुम्हें टिक टॉक और फेसबुक से फुरसत हो
तोह कभी हमारे लिए सोचना
बस स्वाभिमान से भरे किसी काम से हो सके तोह जोड़ना

इस महामारी में मेरे बच्चे भूखे है
मेरे राशन को चोरी करने से पहले सोचना
वोट जो मांगते हो उसी की दुहाई देता हूं
अपने राज धर्म के बारे मे भी तुम थोड़ा देखना

आपसी रंजिसे भुलाकर साथ तुम चलना
यह देश रहे तोह हिन्दू मुसलमान का खेल बाद में खेलना
बात तब्लीक़ की हो या किसी और की
माहवारी में धर्म को मत जोड़ना

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