Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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चिड़ियाघर
एक दिन गया मैं चिड़ियाघर, एक भी जानवर न था वहां पर । यह देख मैं रह गया हैरान, हर पिंजरे में था एक इंसान…
मत कैद करो
मत कैद करो इन मासूम परिंदों को यूँ पिंजरे में इनको भी हक़ है खुले आसमां में विचरण का।।
ठहरो-ठहरो इनको रोको, ये तो बहसी-दरिन्दें हैं ।
ठहरो-ठहरो इनको रोको, ये तो बहसी-दरिन्दें हैं । अगर इसे अभी छोड़ डालोगे. तो आगे इसका परिणाम बुरा भुगतोगे ।। ठहरो-ठहरो इनको रोको, ये तो…
सफेद दरख्त
सफेद दरख्त अब उदास हैं जिन परिंदों के घर बनाये थे वो अपना आशियाना ले उड़ चले। सफेद दरख्त अब तन्हा हैं करारे करारे हरे…
पिंजरे में कैद पंछी
किसी पिंजरे में कैद पंछी की तरह जैसे हमारा मन भी कैद हो गया है, सामने खुली चांदनी नजर आती है पर चार दिवारियों के…
वाह बहुत सुंदर