जब से देखा चेहरा तेरा
जब से तेरा चेहरा क्या देख लिया इन आँखों ने किसी और को पलकें उठा के देखना ही नही चाहतीं ।। »
जब से तेरा चेहरा क्या देख लिया इन आँखों ने किसी और को पलकें उठा के देखना ही नही चाहतीं ।। »
एक तेरा ही तो चेहरा है जिसको देख लूँ तो तो मेरा पूरा दिन बन जाता है।। »
आज रात है तो कल सवेरा भी होगा यकीन रख बन्दे जो होगा सब सही होगा।। »
काश मैं होती तितली रानी सबके मन को भाया करती रंग बिरंगे पंखों से मैं बच्चों को भी खूब लुभाती दुनिया भर में घूमा करती न कोई बंधन में मैं बंधती खुले गगन की सैर हो जाती फूल फूल का रस पी जाती कोई भी सीमा लाँघ मैं जाती अपने प्यारे पंखों का रंग तुम्हारे हाथ भी छोड़ मै जाती।। »
काश मेरे सपनों को हकीकत की शक्ल मिल जाये बिन पंखों के आसमान छूने का हौसला मिल जाये यूँ तो खोये रहते हैं दिन भर खवाबों में ही शायद फिर कुछ हकीकत में जीना सीख जाएँ।। »
ईश्वर ने भी अंक सात को बड़ा ही शुभ बनाया है सात दिनों में इस जगत का सुन्दर निर्माण कराया है संग सात फेरों के लेकर रिश्ते वचन निभाते हैं सात दिनों के एक सप्ताह का सुन्दर मेल बनाया है इंद्रधनुष में सात रंग का अद्भुद खेल रचाया है वही सात सुरों से मिलाकर मधुर संगीत बनाया है सात ही हैं अच्छाई जगत में और सात ही हैं बुराई सात ही हैं पूजनीय हमारे सात ही हैं इंसानी बुराई।। »
अच्छा बनने के लिए जरूरी नही कि मै अच्छे कपडे पहनूँ मै जानती हूँ कि मेरा दिल सच्चा है मुझे दिखावे की कोई जरूरत नही तुमको अगर जानना है मुझको तो मेरी अच्छाइयों से जान सकते हो गलती भी गर करती हूँ तो भी उसको स्वीकारती हूँ।। »
इस दुनिया में मकान बनाना तो बहुत आसान है लेकिन मकान को घर बनाना उतना ही मुश्किल ।। »
जब भी कुछ माँगता हूँ तो हर बार तू मुझको देता है कभी न करता उदास तू मुझको झोली तू मेरी हर वक़्त भरता है कैसे करूँ मैं शुक्रिया अदा तेरा ये दिल हर वक़्त तेरा नाम जपता है।। »
हर किसी को एक ही तराजू में न तोल तू बन्दे ईश्वर ने हर एक को कुछ न कुछ अलग दिया है।। »
ये जो दुनिया छोड़ के चले जाते हैं पहले से कुछ भी न बताते हैं जाने कहाँ और कैसे रहते हैं कुछ भी खबर न हमको बताते हैं कैसा है नया आशियाना उनका सब के सब सवाल हमारे जहन में ही छोड़ जाते हैं।। »
बिन पंखों के उड़ान भर सकती है गर साथ हो तुम्हारा तो दुनिया भी जीत सकती है।। »
अपनी अनुजा का अंगरक्षक होता है ईश्वर का दिया अनमोल उपहार होता है अपनी जीत को भी न्योछावर करता है हर इच्छा को वो पूरी करता है सर आँखों पर अपनी बैठाकर रखता है अगर आ जाये कोई तकलीफ तो उसका तुरंत उपाय खोजता है कलाई पर बंधे रक्षासूत्र को सीने से लगाये रहता है मुँह से निकली हर बात को पूरा करता है जिन्दगी को जो खुशियों से भर देता है ऐसा ही एक बड़ा भाई होता है।। »
एक तेरा ही प्यार निःस्वार्थ है माँ बाकी तो हर जगह स्वार्थ ही निहित है माँ।। »
माँ मुझे भी इस दुनिया में ले आओ न इस जग की लीला मुझे भी दिखलाओ न खुले आसमान के नीचे मुझको घुमाओ न अपनी ममतामई गोद में खिलाओ न पढ़ा लिखा कर मुझे भी अफसर बनाओ न गर्व से करूंगी नाम रोशन आप सबका माँ मान और सम्मान सब दिलवाऊँगी माँ पापा का भी हाथ मैं बटाऊँगी माँ न मारो मुझको यूं तोड़ कर माँ मौका तो दो कुछ कर गुजरने का माँ।। »
मिट्टी के ढेर हैं हम सब यहाँ वक़्त का खेल है न जाने कब बिखर जाये।। »
मिट्टी के ढेर हैं हम सब यहाँ वक़्त का खेल है न जाने कब बिखर जाये।। »
कुछ बनना है तो फूलों की तरह बनों अपनी महक से दुनिया महका दो कुछ बनना है तो तितली की तरह बनों अपने रंग दूसरों में बिखरा दो कुछ बनना है तो जुगनू की तरह बनों अपनी रोशनी से दुनिया जगमगा दो कुछ बनना है तो दुग्ध की तरह बनो अपने अंदर दुनिया समां लो।। »
गर देती है जन्म माँ तो जिंदगी संवारते हैं पापा जितना भी हो सकता है सब कुछ कर गुजरते हैं पापा जेब गर खाली भी हो तो कर्ज ले आते हैं पापा अपने बच्चों के सपने को हकीकत में बदल देते हैं पापा जिस भी चीज़ को मांगो तुरंत दिला देते है पापा अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर गुजरते हैं पापा उँगली पकड़ के चलना सिखाकर खुद के पैरों पर खड़ा करते हैं पापा जिंदगी की हर जमा पूँजी को बच्चों पर न्योछावर करते हैं पापा।। »
बहुत से ख़्वाब है आँखों में मेरे सारे नहीं तो कुछ तो हकीक़त में आएँ माना के करनी है बहुत मेहनत हमको भी ज़रा आप भी तो उसमे अपना हाथ मेरे सर पर लाएँ।। »
दुनिया की भीड़ में जब कभी अकेली होती हूँ तो बहुत याद आती है मुझे मेरी माँ खुशियाँ हो या गम हो हर सुख दुःख में बहुत याद आती है मुझे मेरी माँ जब भी किसी तकलीफ़ में होती हूँ तो बहुत याद आती है मुझे मेरी माँ जब कभी नींद न आती है मुझे तो बहुत याद आती है मुझे मेरी माँ जब होती हूँ बेचैन तो बस तेरी सुकून की गोद याद आती है मुझे मेरी माँ जब दिल याद में तेरी भीगा होता है तो सिर्फ तेरा ही आँचल याद आता है मुझे म... »
कल तक जिस आँगन में पली और बड़ी हुई आज उसी के लिए पराया हो गया है कल तक जिस चीज़ को मन करता उठाया आज अपने वो हाथों को बाँधे बैठी है कल तक जो करती थी अतिथि सत्कार वो अब खुद उसी जगह पर आ बैठी है कल तक जो सारी बातें साझा करती थी आज वो कई बातों को छिपाये बैठी है कल तक तो थी हर जिम्मेदारी से दूर आज वही जिम्मेदारियों को संभाले खड़ी है कभी रहती न थी चुपचाप और गुमसुम आज वही एकांत किसी कोने में खड़ी है कल तक तो... »
आँखों ही आँखों में जाने कब बड़ी हो जाती है बिन कुछ कहे सब कुछ समझ जाती है जो करती थी कल तक चीज़ों के लिए ज़िद आज वो अपनी इच्छाओं को दबा जाती है अब कुछ भी न कहना पड़ता है उससे सब कुछ वो झट से कर जाती है एक गिलास पानी का भी न उठाने वाली आज पूरे घर को भोजन पकाती है कभी भी कहीं भी बैग उठा कर चल देने वाली आज वो अपना हर कदम सोंच समझ कर बाहर निकालती है।। »
पहने सर पर नीली टोपी उछलता -कूदता आता है कभी इधर तो कभी उधर नाचता और नचाता है। भर अपने थैले में टॉफी बिस्कुट सबको लाता है हाथ मिलाकर बच्चों से एक जादू की झप्पी लेता है। रोते बच्चे को झट से अपनी बातों में वो लेता है मुँह फुला कर तोंद दिखाकर खुशियाँ उसको देता है। बच्चों के संग मिलजुल कर वो खेलता और खिलाता है चंद पैसो के खातिर वो ये सब कुछ हँस कर करता है हज़ारों गमों के समुन्दर को वो ज़ाहिर कभी न करता ... »
मत कैद करो इन मासूम परिंदों को यूँ पिंजरे में इनको भी हक़ है खुले आसमां में विचरण का।। »
मत कैद करो इन मासूम परिंदों को यूँ पिंजरे में इनको भी हक़ है खुले आसमां में विचरण का।। »
अब तो कदम -कदम पर लोग शतरंज की बिसात बिछाये बैठे रहते हैं एक मामूली सी चूक पर तत्काल मात दे डालते हैं।। »
हाथ में लेकर सीटी आता साइकिल पर होकर सवार एक डंडे पर ढेर से खिलौने जिसमे रहते उसके पास गली गली और सड़क सड़क बच्चों की खुशियाँ लाता है देख के बच्चे शोर मचाते खिलौने वाला आया है देख कर चिंटू मिंटू से कहता धनुष बाण तो अब मैं लूँगा तब मिंटू चिंटू से कहता हनुमन गदा को मै ही लूँगा इतने में आती है भोली देख के बर्तन करती ठिठोली कहती बर्तन मैं भी लूंगी लूँगी साथ में गुड़िया चूड़ी सोहन मोहन दौड़े आते कहते हम भी ... »
हाथ में लेकर सीटी आता साइकिल पर होकर सवार एक डंडे पर ढेर से खिलौने जिसमे रहते उसके पास गली- गली और सड़क- सड़क बच्चों की खुशियाँ लाता है देख के बच्चे खुश शोर मचाते खिलौने वाला आया है। देख कर चिंटू ,मिंटू से कहता धनुष बाण तो अब मैं लूँगा तब मिंटू ,चिंटू से कहता हनुमन गदा को मै ही लूँगा। इतने में आती है भोली देख के बर्तन करती ठिठोली कहती बर्तन मैं भी लूंगी लूँगी साथ में गुड़िया चूड़ी। सोहन – मोहन द... »
कितनी भी धूप हो, कितनी भी ठण्ड हो काम पर अपने लगे ही रहते दिन हो या रात हो,सुबह हो शाम हो खेत पर हल को, चलाते ही रहते हर एक बीज को प्यार से सींचते हर पल उनकी देखरेख करते बारिश न हो तो बूँद को तरसते ईश्वर से फिर प्रार्थना करते अपने बच्चों के पेट को ही न सिर्फ दुनिया जहान के पेट को भरते कभी न रुकते कभी न भटकते कठिन परिश्रम वो हर पल करते।। »
गर्मियों की छुट्टियाँ शुरू हुई हैं बच्चों में नई लहर दौड़ उठी है खेलेंगे -कूदेंगे अब दिन भर जमकर मस्ती और मस्ती खुलकर करेंगे दीदी भैया साथ गृह कार्य करेंगे विद्यालय से मिला कार्यकलाप करेंगे नई -नई जगह पर घूमेंगे फिरेंगे वहाँ से जुडी बाते जानेंगे ज्ञान को अपने और विस्तृत करेंगे कुछ गायन -वादन सीखेंगे कुछ कंप्यूटर चलाना सीखेंगे अलग -अलग शिविरों से जुड़ेंगे अपनी प्रतिभा को वो निखारेंगे फिर तरोताजा महसू... »
सुबह के चार जैसे ही बजते हैं आँखें उसकी खुल जाती हैं इधर से उधर,उधर से इधर साफ़ सफाई से शुरुआत है करती खाना बना के सबको रखती बच्चों को विद्यालय छोड़ती नौकरी को तैयार हो जाती दस से पाँच के कर्तव्य निभाती घर आ कर फिर काम में लगती बच्चों को गृहकार्य करवाती फिर शाम का भोजन बनाती परिजन के साथ मिल कर खाती बच्चों को मीठी नींद सुलाती थक हार कर फिर खुद सो जाती अगले दिन फिर जल्दी उठ जाती।। »