जब से देखा चेहरा तेरा
जब से तेरा चेहरा क्या देख लिया इन आँखों ने किसी और को पलकें उठा के देखना ही नही चाहतीं ।।
जब से तेरा चेहरा क्या देख लिया इन आँखों ने किसी और को पलकें उठा के देखना ही नही चाहतीं ।।
एक तेरा ही तो चेहरा है जिसको देख लूँ तो तो मेरा पूरा दिन बन जाता है।।
आज रात है तो कल सवेरा भी होगा यकीन रख बन्दे जो होगा सब सही होगा।।
कभी कभी वक़्त ऐसा आता है कि हम उसको जाने नही देना चाहते और कभी ऐसा वक़्त भी आता है जिसको हम आने नही देना…
काश मैं होती तितली रानी सबके मन को भाया करती रंग बिरंगे पंखों से मैं बच्चों को भी खूब लुभाती दुनिया भर में घूमा करती…
मौका तो दो एक बार खुद को सही साबित करने का क्यों दूसरों से सुनी बातों पर विश्वास कर बैठते हो।।
काश मेरे सपनों को हकीकत की शक्ल मिल जाये बिन पंखों के आसमान छूने का हौसला मिल जाये यूँ तो खोये रहते हैं दिन भर…
ईश्वर ने भी अंक सात को बड़ा ही शुभ बनाया है सात दिनों में इस जगत का सुन्दर निर्माण कराया है संग सात फेरों के…
ये मेरे आइने को भी आजकल न जाने क्या हो गया है मेरी छवि को छोड़ कर आपकी छवि दिखाने लगा है।।
क्यों जन्म लेने से पहले ही, मार देते हो मुझको क्या मुझको हक़ नही, इस दुनिया में जीने का भूल गए हो तुम, ज़रा अपनी…
काश हम खुशियों के पल को यूँ ही रोक पाते गमों की एक भी परछाईं को आप को न छूने दे पाते।।
अच्छा बनने के लिए जरूरी नही कि मै अच्छे कपडे पहनूँ मै जानती हूँ कि मेरा दिल सच्चा है मुझे दिखावे की कोई जरूरत नही…
बनाकर कठपुतलियों को अपने इशारों पर नचाते हैं धागों से चारों तरफ फिर उनको बाँधते हैं बेजान सी होकर भी सबके मन को लुभाती है…
इस दुनिया में मकान बनाना तो बहुत आसान है लेकिन मकान को घर बनाना उतना ही मुश्किल ।।
जब भी कुछ माँगता हूँ तो हर बार तू मुझको देता है कभी न करता उदास तू मुझको झोली तू मेरी हर वक़्त भरता है…
हर किसी को एक ही तराजू में न तोल तू बन्दे ईश्वर ने हर एक को कुछ न कुछ अलग दिया है।।
ये जो दुनिया छोड़ के चले जाते हैं पहले से कुछ भी न बताते हैं जाने कहाँ और कैसे रहते हैं कुछ भी खबर न…
ए हर वक़्त व्यस्त रहने वाले दोस्त कुछ वक़्त हमारे लिए भी निकाल फिर न कहना कि तुम क्यों रुसवा हो गए अभी हमने कुछ…
बिन पंखों के उड़ान भर सकती है गर साथ हो तुम्हारा तो दुनिया भी जीत सकती है।।
अपने नन्हें कदमों से दिन भर छन छन करती फिरती है कभी इधर तो कभी उधर वो उछलती कूदती रहती है बंधन मुक्त वो पंछी…
अपनी अनुजा का अंगरक्षक होता है ईश्वर का दिया अनमोल उपहार होता है अपनी जीत को भी न्योछावर करता है हर इच्छा को वो पूरी…
ये जिंदगी थोडा अपनी रफ़्तार को धीमा तो कर हम जब तक कुछ समझे तू और आगे निकल जाती है।।
एक तेरा ही प्यार निःस्वार्थ है माँ बाकी तो हर जगह स्वार्थ ही निहित है माँ।।
जहाँ भी जाओ वही हर एक शख्स के अलग ही मुखौटा लगा होता है बाहर से कुछ दिखलाई पड़ता है अंदर से कुछ और ही…
माँ मुझे भी इस दुनिया में ले आओ न इस जग की लीला मुझे भी दिखलाओ न खुले आसमान के नीचे मुझको घुमाओ न अपनी…
मिट्टी के ढेर हैं हम सब यहाँ वक़्त का खेल है न जाने कब बिखर जाये।।
मिट्टी के ढेर हैं हम सब यहाँ वक़्त का खेल है न जाने कब बिखर जाये।।
कुछ बनना है तो फूलों की तरह बनों अपनी महक से दुनिया महका दो कुछ बनना है तो तितली की तरह बनों अपने रंग दूसरों…
गर देती है जन्म माँ तो जिंदगी संवारते हैं पापा जितना भी हो सकता है सब कुछ कर गुजरते हैं पापा जेब गर खाली भी…
बहुत से ख़्वाब है आँखों में मेरे सारे नहीं तो कुछ तो हकीक़त में आएँ माना के करनी है बहुत मेहनत हमको भी ज़रा आप…
हमारे दिल की धड़कन है तू हमारे जिगर का टुकड़ा है तू छुए तू इतनी ऊंचाइयों के कि दुनियां जहाँ में मशहूर हो तू।।
दुनिया की भीड़ में जब कभी अकेली होती हूँ तो बहुत याद आती है मुझे मेरी माँ खुशियाँ हो या गम हो हर सुख दुःख…
कल तक जिस आँगन में पली और बड़ी हुई आज उसी के लिए पराया हो गया है कल तक जिस चीज़ को मन करता उठाया…
आँखों ही आँखों में जाने कब बड़ी हो जाती है बिन कुछ कहे सब कुछ समझ जाती है जो करती थी कल तक चीज़ों के…
पहने सर पर नीली टोपी उछलता -कूदता आता है कभी इधर तो कभी उधर नाचता और नचाता है। भर अपने थैले में टॉफी बिस्कुट सबको…
मत कैद करो इन मासूम परिंदों को यूँ पिंजरे में इनको भी हक़ है खुले आसमां में विचरण का।।
मत कैद करो इन मासूम परिंदों को यूँ पिंजरे में इनको भी हक़ है खुले आसमां में विचरण का।।
अब तो कदम -कदम पर लोग शतरंज की बिसात बिछाये बैठे रहते हैं एक मामूली सी चूक पर तत्काल मात दे डालते हैं।।
हाथ में लेकर सीटी आता साइकिल पर होकर सवार एक डंडे पर ढेर से खिलौने जिसमे रहते उसके पास गली गली और सड़क सड़क बच्चों…
हाथ में लेकर सीटी आता साइकिल पर होकर सवार एक डंडे पर ढेर से खिलौने जिसमे रहते उसके पास गली- गली और सड़क- सड़क बच्चों…
नयनों से निकले अश्रु भी बड़े अज़ीब है ख़ुशी हो या गम हो हर बात पर निकल पड़ते हैं।।
कवि ही हैं जो बिखरे हुए शब्दों को, खूबसूरत माला में पिरोकर रख देते हैं।।
क्यों कैद करते हो पंछियों को आज़ाद कर दो इनको सब आज इनको भी हक़ मिला हुआ है खुले आसमाँ में विचरण का जनाब गुलामी…
कितनी भी धूप हो, कितनी भी ठण्ड हो काम पर अपने लगे ही रहते दिन हो या रात हो,सुबह हो शाम हो खेत पर हल…
गर्मियों की छुट्टियाँ शुरू हुई हैं बच्चों में नई लहर दौड़ उठी है खेलेंगे -कूदेंगे अब दिन भर जमकर मस्ती और मस्ती खुलकर करेंगे दीदी…
देख गुब्बारे वाले को जब बच्चे ने आवाज़ लगाई दिला दो एक गुब्बारा मुझको माँ से अपनी इच्छा जताई। देखो न माँ कितने प्यारे धूप…
कैसी ये दुनिया बनाई प्रभु ने सब वक़्त के साथ जिए जा रहे हैं ऊँगली पकड़ के चलना सीख कर कन्धों के सहारे चले जा…
ख्वाइश तो है कि आसमां को छुऊँ लेकिन जमी से मुझे ज्यादा लगाव है।
सुबह के चार जैसे ही बजते हैं आँखें उसकी खुल जाती हैं इधर से उधर,उधर से इधर साफ़ सफाई से शुरुआत है करती खाना बना…
अक्षर से शब्द बना शब्दों से बने वाक्य वाक्यों से फिर कविताएँ बनी जिनको पढ़ रहे आप।
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