मर्द
जिसने परखा औरत के दर्द।
वही कहलाया जवां एक मर्द।।
भाई ताक़त से नहीं जाना जाता।
उसे उसका हक़ दो तो ही मर्द।।
हुकूमत की चक्की में पीसने वाले।
क्यों कहलाते हो तुम जवां एक मर्द।।
औरत के कमजोरी पे सदा राज किया।
शान से कहलाते हो तुम आज के मर्द।।
जरा सोचो गर पल में ही पासा पलट दे।
फिर हम और तुम काहे के वीर मर्द।।
औरत नहीं तो यह संसार नहीं।
यही सूत्र क्यों न समझे नादान मर्द।।
बहुत बढ़िया विचार
असली मर्द वही जो औरत को समझे और उसका सम्मान करें
बिलकुल सही कह रहे हैं, भैया जी, समझ रही हूँ।
Sunder