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महफ़िल

जिस महफ़िल में कोई जानता ना हो,
उस महफ़िल में जाना क्यूं है
जिस महफ़िल में,अनसुना कर दें तुझे
उस महफ़िल में, कुछ सुनाना क्यूं है
मुखौटे लगा कर बैठे हैं लोग जहां,
वहां तुझे भी मुखौटा लगाना क्यूं है
झूठ से ही .गर ख़ुश हैं कुछ लोग,
“गीता” तुझे सच बताना क्यूं है

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