महात्मा गांधी
सत्य अहिंसा को अपनाकर
जीवन को साकार किया।
एक वस्त्र में खुद को रखकर
जन जन का उद्धार किया।।
बाल्य काल में शिक्षा सेवा
योग मार्ग को अपनाया।
जन हितकारी न्याय के खातिर
देश विदेश में पधराया।।
जननी जन्मभूमि का प्यार
दिल में हर पल भरा रहा।
कष्ट बथेरे सहकर भी
सेवा पथ पर अड़ा रहा।।
कर्मशील योगी के आगे
हार फिरंगी भाग गया।
आजाद हुआ भारत अपना
नवजीवन अब जाग गया।।
तनय कर्मचंद का मानो
काल के आगे हार गया।
अहिंसा के मंदिर में
कलयुग पांव पसार गया।।
आजाद देश मतलब के आगे
खूनी पंथ कटार हुआ।
हिन्द पाक हो खून के प्यासे
झेलम के दोनों पार हुआ।।
देख महात्मा का अन्तर्मन
पीड़ित तार तार हुआ।
अहिंसा का उपदेशक
हिंसा का शिकार हुआ।।
तन छूट गया न अंत हुआ
अविनाशी उस आत्मा का।
विनयचंद रे बनो उपासक
सत्य पथिक महात्मा का।।
पं़ विनय शास्त्री ‘विनयचंद ‘