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माँ

देखा किसी ने नहीं है मगर बहुत बड़ा बताते हैं लोग,
कुछ लोग उसे ईश्वर तो कुछ उसे खुदा बताते हैं लोग,

पता किसी के पास नहीं है मगर रस्ता सभी बताते हैं लोग,
कुछ लोग उसे मन्दिर तो कुछ उसे मस्ज़िद बताते हैं लोग,

ढूढ़ते फिरते हैं जिसे हम यहां वहां भटकते दर बदर,
तो कुछ ऐसे भी हैं जो उसे तेरी मेरी माँ बताते हैं लोग।।

राही (अंजाना)

(Winner of ‘Poetry on Picture’ contest)

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