माथे की लकीरें

माथे की लकीरें हर दिन बढ़ती जाती है
भविष्य की चिंता रोज उभरती जाती है

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Responses

  1. उभरती है हर रोज मुश्किलें नदीं में उफ़ान सी
    डूब जाती है हर रोज जिंदगी बेजान सी

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