Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Mithilesh Rai
Lives in Varanasi, India
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मुक्तक
दर्द के दामन में चाहत के कमल खिलते हैं! अश्क की लकीर पर यादों के कदम चलते हैं! रेंगते ख्यालों में नज़र आती हैं मंजिलें,…
नज़र ..
प्रेम होता दिलों से है फंसती नज़र , एक तुम्हारी नज़र , एक हमारी नज़र, जब तुम आई नज़र , जब मैं आया नज़र, फिर…
मंज़िलें नज़दीक है…
सफर शुरू हुआ है मगर मंज़िलें नज़दीक है… ज़िंदगी जब जंगलोके बीच से गुजरे, कही किसी शेर की आहट सुनाई दे, जब रात हो घुप्प…
दो कदम
मौसीकी चौराहे पर रखकर आँखें बंद कर दो कदम रोज़ चलते हैं। हाथ में बसता और सीने में दिल रखकर दो कदम रोज़ चलते हैं।…
आस्था के कमल
आस्था के कमल ——————– प्रेम और विश्वास के दरिया में ही खिलते हैं आस्था के कमल। तुम खरे उतरना इस विश्वास पर ना मुरझा पाए…
nice
धन्यवाद आदरणीय
Jai ho