मुक्तक

जब कोई जिन्दगी मजबूर हो जाती है!
राह मुश्किलों की मग़रूर हो जाती है!
मंजिल निगाहों में करीब होती है मगर,
तकदीर उम्मीदों से दूर हो जाती है!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

  1. Nice one..
    जितना जिंदगी को पास बुलाओ
    जिंदगी उतना दूर हो जाती है
    मंजिलो पर नजर रखते रखते
    पैरों से राह गुम हो जाती है

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