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मुझे पहचान लो

कविता कहाँ, मैं झूठ लिखता हूँ
मुझे पहचान लो
दूसरों पर चोट करता हूँ
मुझे पहचान लो।
जब कभी कोई कराहे
दर्द से फुटपाथ पर,
नजरें चुरा लेता हूँ उससे ,
अब मुझे पहचान लो।
शांति से सब गा रहे हों
प्रेम का संगीत जब
मैं वहां नफरत जगाता हूँ
मुझे पहचान लो।
जिंदगी की फिल्म
चलती जा रही है प्यार की
मैं विलन का रोल करता हूँ
मुझे पहचान लो।

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